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मुद्रास्फीति के कम होने के संकेत मिलने के साथ ही घरेलू स्तर पर आर्थिक परिदृश्य के लचीला रहने का अनुमान बढ़ गया है। ऐसे में अर्थव्यवस्था लगभग सात प्रतिशत की जीडीपी हासिल करने की ओर बढ़ रही है। आरबीआई की ओर से जारी बुलेटिन में उम्मीद जताई गई है कि वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी 6.1 से 6.3 फीसदी के बीच रह सकता है। हालांकि भारत अब भी वैश्विक विपरीत परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील बना हुआ है। वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े नवंबर के अंत तक जारी किए जाएंगे।
नवीनतम आरबीआई बुलेटिन में प्रकाशित लेख एक लेख में यह भी कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए दृष्टिकोण नकारात्मक बना हुआ है। वैश्विक वित्तीय स्थितियां कड़ी हो रही हैं और बाजार में लिक्विडिटी से जुड़ी चुनौतियों के कारण उतार-चढ़ाव बढ़ा है। केंद्रीय बैंक के ताजा बुलेटिन में कहा गया है कि देश में खुदरा महंगाई दर में कमी दर्ज होने से अर्थव्यवस्था के प्रति मौद्रिक रुख में लचिलापन आने की संभावना बढ़ी है। आर्टिकल में कहा गया है कि अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत सात फीसदी की जीडीपी हासिल कर सकती है।
केंद्रीय बैंक की ओर से प्रकाशित ताजा बुलेटिन में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के रुझान अब भी साफ नहीं है। वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंका फिलहाल बनी हुई है। वैश्विक स्तर पर आर्थिक चुनौतियों के कारण केंद्रीय बैंक सख्त रुख अपना रहे हैं, जिस कारण बाजार में उथल-पुथल बढ़ा है।
आरबीआई बुलेटिन की रिपोर्ट के अनुसार बाजार में नीतिगत दरों में मध्यम रूप से वृद्धि की जा रही है, जिससे लोग फिर जोखिम लेने का मन बनाने लगे हैं। नोट के अनुसार, वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में बाजार में आपूर्ति की स्थिति भी सकारात्मक हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रस्फीति में कमी के संकेत मिलने से घरेलू स्तर आर्थिक दृषिकोण में सकारात्मक बदलाव आए हैं। हालांकि, वैश्विक चिंताओं के प्रति अब भी सचेत रहने की जरूरत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में मांग में मजबूती दिख रही है, ग्रामीण क्षेत्राें में मांग सुस्त है पर हाल के दिनों में इसमें तेजी आई है। आरबीआई की बुलेटिन में प्रकाशित इस रिपोर्ट को केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा के के नेतृत्व में तैयार किया गया है। हालांकि, आरबीआई की ओर से इस रिपोर्ट के बारे में कहा गया है कि इसमें प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं और ये केंद्रीय बैंक के दृष्टिकोण को नहीं दर्शाते हैं।
आरबीआई की बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि इस खरीफ विपणन सीजन के दौरान चावल खरीद पिछले वर्ष के आंकड़े को पार कर चुकी है। हालांकि गेहूं की खरीद में काफी तेजी से गिरावट आई है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि रबी की बुवाई साल-दर-साल बढ़ रही है। उत्तर-पूर्व मानसून की अच्छी बारिश और जलाशय के जल भंडारण के स्तर बढ़ने से रबी फसल की बुवाई में मदद मिली है।