
Gujarat Election- Abdasa Assembly Seat
– फोटो : Amar Ujala
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मीलों तक फैला सफेद नमक का बंजर रेगिस्तान और इसी बंजर रेगिस्तान के आसपास बसे हैं छोटे-छोटे गांव। गांव में रोजमर्रा की जरूरतों के सामान के लिए भी दूरदराज के कस्बेनुमा गांवों पर निर्भरता बनी हुई है। ऐसे ही एक सुनसान बंजर इलाके में एक जगह पड़ती है लखपत। पाकिस्तानी सीमा से सटे हुए इस लखपत इलाके की विधानसभा का क्षेत्र है अबडासा। गुजरात की 182 विधानसभा क्षेत्रों में यह पहले नंबर की विधानसभा सीट है। मुस्लिम बाहुल्य इस इलाके में भाजपा और कांग्रेस का दबदबा रहा है। लेकिन इस बार मुस्लिम आबादी वाले इस इलाके में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी एंट्री की है। अमर उजाला डॉट कॉम ने गुजरात की पहली विधानसभा में जाकर चुनावी हाल को समझा।
सेंधमारी करेगी ओवैसी की पार्टी
कच्छ जिले की अबदासा सीट के अंतर्गत तीन तालुके आते हैं, जिसमें लखपत, लख्तरना और अबदासा शामिल है। लखपत इलाके के रहने वाले हाशिम बताते हैं कि आज भी इस इलाके में पीने के पानी का संकट बना हुआ है। ज्यादातर इलाकों में छोटी-छोटी जरूरत की चीजों को लेने के लिए कई किलोमीटर दूर जाकर खरीदारी करनी पड़ती है। हाशिम का कहना है दरअसल ऐसी परिस्थितियां इस इलाके की भौगोलिक परिस्थितियों के चलते ही बनी हैं, लेकिन अभी भी कच्छ के इस इलाके में विकास की बहुत जरूरत है। चुनावी माहौल पर बात करते हुए हाशिम का कहना है कि इस बार तो यहां पर ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी एंट्री कर ही ली है। हालांकि ओवैसी की पार्टी इस इलाके में कितना कमाल करेगी यह तो हाशिम नहीं बताते हैं, लेकिन उनका कहना है कि मुस्लिम वोटों में ओवैसी की पार्टी सेंधमारी तो करेगी ही। कच्छ के इसी इलाके के वडली गांव के रहने वाले मोहम्मद अतहर रईसी बताते हैं कि यहां पर तो सिर्फ दो पार्टियां ही चुनावी मैदान में रहती हैं। इसमें भाजपा और कांग्रेस शुरुआत से चुनाव लड़ती आई है। रईसी कहते हैं पहली बार ओवैसी की पार्टी और केजरीवाल की पार्टी चुनावी मैदान में है। हालांकि समूचे गुजरात की राजनीति का जिक्र करते हुए वह कहते हैं कि नई पार्टियों को चुनावी मैदान में आने से लोगों के पास वोट देने के विकल्प तो और होंगे। हालांकि परिणाम कैसे होंगे इसको लेकर वह कुछ बोलने से इनकार करते हैं।
इस इलाके के भिंडयारा गांव के रहने वाले साजिद बताते हैं कि यहां पर जितना भी विकास आप देख रहे हैं, वह भाजपा की सरकार में ही हुआ है। साजिद का कहना है कि पाकिस्तान बॉर्डर होने के चलते सड़कों से लेकर सीमा की सुरक्षा और रहने से लेकर खाने-पीने और जरूरत की चीजों के लिए विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस पूरे इलाके में भाजपा ने बेहतर काम किया है। उनका कहना है कि इस इलाके के मुसलमान भी मोदी को ही वोट करते हैं। यह पूछने पर कि इस बार तो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में हैं, तो उनका कहना है लोकतंत्र के लिहाज से यह बेहतर है लेकिन लोग मतदान अपने विकास और क्षेत्र के विकास के नाम पर ही करते हैं।
2002 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा
लखपत के ही रहने वाले अली भाई कहते हैं कि जब दो पार्टियां ही यहां पर शुरुआत से रही हैं, तो विकास इन्हीं दोनों पार्टियों की ओर से ही कराया गया होगा। उनका कहना है कोई ज्यादा तो कोई कम, विकास तो कराता ही है। हालात इस बार थोड़े बदले हैं, लेकिन वह बदले हुए हालात चुनावी परिणाम में किस तरीके से तब्दील होंगे यह कहना मुश्किल है। बदले हुए हालात पर उनका कहना है कि इस बार गुजरात के चुनाव में दो नई पार्टियां उतरी हैं। अली कहते हैं कि तकरीबन ढाई लाख की आबादी वाले अबदासा विधानसभा क्षेत्र में चालीस हजार से ज्यादा मुसलमान रहते हैं। उनका कहना है कि यहां के मुसलमान विकास के नाम पर वोट देते आए हैं। फिर वह चाहे कांग्रेस रही हो या भारतीय जनता पार्टी।
गुजरात की इस पहली विधानसभा सीट अबदासा में 1967 से लेकर 1985 तक कांग्रेस का कब्जा रहा। 1990 में इस सीट पर पहली बार भाजपा के ताराचंद ने जीत हासिल की थी। 2002 से भाजपा ने इस इलाके में अपना कब्जा बरकरार रखा है। हालांकि 2017 के चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी के प्रद्युम्न सिंह जडेजा चुनाव लड़े और जीते भी थे। लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया और दोबारा जब चुनाव हुए तो प्रद्युम्न सिंह जडेजा भाजपा में शामिल होकर यहां से एक बार फिर से विधायक बन गए। कांग्रेस के नेता और भुज विधानसभा के प्रत्याशी अर्जुन सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान बॉर्डर से लगते हुए इलाके वाले क्षेत्र में विकास की बहुत आवश्यकता है और अर्जुन सिंह का आरोप है कि भाजपा ने लंबे समय से इस इलाके में अपने विधायकों के माध्यम से न कोई काम कराया और सरकार होने के बाद भी इस इलाके में पानी से लेकर सड़क और कनेक्टिविटी जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है।