डॉक्टर्स बताते हैं, बच्चों और युवाओं में बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्या के लिए कोविड-19 महामारी को एक प्रमुख कारक के तौर पर देखा जा रहा है। कई लोगों में लॉन्ग कोविड की समस्या के रूप में भी तनाव-अवसाद के मामले देखे जा रहे हैं। अक्सर इस तरह की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता है, ये गंभीर रूप ले सकती हैं।
लंबे समय तक बने रहने वाली तनाव की समस्या उच्च रक्तचाप का भी कारण बन सकती है जिसका असर प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी और हृदय रोग जैसी समस्याओं को बढ़ाने का कारण बन सकता है। आइए जानते हैं कि युवाओं में बढ़ रही है तनाव-अवसाद की समस्या को कैसे पहचानें और इसकी रोकथाम के लिए क्या किया जाना चाहिए?
तनाव-अवसाद जैसी समस्याओं को व्यक्त कर पाने की असमर्थता की स्थिति में अक्सर आपको चिड़चिड़ापन या गुस्सा आने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा आपके व्यवहार में परिवर्तन आना, काम में मन न लगना, लोगों के साथ समय बिता पाने में कठिनाई महसूस होना भी तनाव की समस्या का संकेत हो सकता है। इन लक्षणों पर ध्यान देते रहने और समय पर मनोचिकित्सक की सलाह लेना आवश्यक हो जाता है।
तनाव या अवसाद की स्थिति में नींद का प्रभावित होना सबसे सामान्य लक्षण है, अगर आपको लगातार नींद में समस्या का अनुभव होता रहता है तो इस बारे में किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें। बच्चा या किशोर अगर हर समय थकान महसूस करता है, सामान्य से अधिक सोने या रात में सोने में परेशानी की शिकायत करता है, तो इस तरह के संकेतों को गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। इसे तनाव के प्रारंभिक दौर की स्थिति माना जा सकता है।
बहुत अधिक या बहुत कम खाना, दोनों ही तनाव की प्रतिक्रिया हो सकती है। यदि आपको स्वयं में इस तरह का बदलाव महसूस हो रहा है तो डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें। इसके अलावा तनाव की इस तरह की स्थिति में बच्चे अक्सर सिरदर्द या पेट दर्द की दिक्कतों के बारे में शिकायत करते रहते हैं। अगर कुछ अन्य लक्षणों के साथ इस तरह की दिक्कतों का अनुभव होता रहता है तो इसपर समय रहते ध्यान देना बहुत आवश्यक हो जाता है।
तनाव-अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से बचे रहने के लिए अच्छी नींद, पौष्टिक आहार और अपने पसंद की चीजों को करने पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। रात में 6-8 घंटे की नींद बहुत आवश्यक है, जिन लोगों को नींद विकारों की समस्या होती है अक्सर उनमें तनाव की दिक्कत देखी जाती रही है। तनाव-अवसाद से बचे रहने के लिए योग-मेडिटेशन का नियमित रूप से अभ्यास करते रहना आवश्यक हो जाता है।
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