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रेलवे के चर्चित आईआरसीटी घोटाला मामले में आज बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंचे। सीबीआई ने उनकी जमानत निरस्त करने की मांग करते हुए कोर्ट में अर्जी दायर की है। तेजस्वी यादव की ओर से सीबीआई की अर्जी का विरोध करते हुए कहा गया कि केंद्र सरकार विपक्ष के खिलाफ सीबीआई व ईडी का दुरुपयोग कर रही है।
सीबीआई ने कोर्ट में अर्जी दायर कर कहा है कि तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोटाले की जांच कर रहे अधिकारियों को धमकी दी थी। इस तरह उन्होंने जांच को प्रभावित करने की कोशिश की, इसलिए उनकी जमानत निरस्त की जाए।
सुनवाई के दौरान यादव के वकीलों ने कहा कि विपक्ष के नेता होने के नाते केंद्र सरकार के गलत कार्यों का विरोध करना उनका फर्ज है। वहीं, केंद्र सरकार सीबीआई व ईडी का दुरुपयोग कर रही है। सभी विपक्षी दलों के सदस्य ऐसा मानते हैं। इसके पहले 28 सितंबर को कोर्ट ने तेजस्वी को सीबीआई की अर्जी का जवाब दाखिल करने के लिए मोहलत दी थी। इसके साथ ही 18 अक्तूबर को पेशी तय की थी।
#WATCH | IRCTC scam case: Bihar Deputy CM Tejashwi Yadav arrives at Delhi’s Rouse Avenue Court pic.twitter.com/NR06QRhQ13
— ANI (@ANI) October 18, 2022
क्या है IRCTC होटल घोटाला
IRCTC घोटाला 2004 में संप्रग सरकार में लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान का है। दरअसल, रेलवे बोर्ड ने उस वक्त रेलवे की कैटरिंग और रेलवे होटलों की सेवा को पूरी तरह IRCTC को सौंप दिया था। इस दौरान झारखंड के रांची और ओडिशा के पुरी के बीएनआर होटल के रखरखाव, संचालन और विकास को लेकर जारी टेंडर में अनियमिताएं किए जाने की बातें सामने आई थीं। ये टेंडर 2006 में एक प्राइवेट होटल सुजाता होटल को मिला था। आरोप है कि सुजाता होटल्स के मालिकों इसके बदले लालू यादव परिवार को पटना में तीन एकड़ जमीन दी, जो बेनामी संपत्ति थी। इस मामले में भी लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत 11 लोग आरोपी हैं।
इस मामले में कब क्या-क्या हुआ?
आपको बता दें कि सीबीआई ने जुलाई 2017 में लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव समेत 11 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके बाद सीबीआई(CBI) की एक विशेष अदालत ने जुलाई 2018 में लालू प्रसाद और अन्य के खिलाफ दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया था। लेकिन आरोप तय करने को लेकर बहस शुरू नहीं हो सकी। इसके बाद फरवरी 2019 में एक आरोपी विनोद कुमार अस्थाना ने चार्जशीट पर संज्ञान लेने के विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसके बाद दो अन्य सह-आरोपियों ने भी आवेदन दायर कर दिए।