
सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : सोशल मीडिया
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एर्नाकुलम की जिला अदालत ने मानव बलि मामले में तीसरे आरोपी लैला की जमानत याचिका खारिज कर दी है। न्यायाधीश शिबू थॉमस ने इस निष्कर्ष पर याचिका खारिज कर दी कि अपराध गंभीर है। न्यायालय ने कहा, ऐसे अपराधों के लिए कानून के तहत अधिकतम सजा का प्रावधान है।
प्रथम दृष्टया इसमें संलिप्तता साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। वकील का तर्क स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि अपराध में याचिकाकर्ता की संलिप्तता को साबित करने के लिए कोई सामग्री नहीं है। लगभग सभी महत्वपूर्ण गवाह याचिकाकर्ता के पड़ोसी हैं।
इसलिए, अभियोजन पक्ष की आशंका है कि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किए जाने पर वह गवाहों को प्रभावित करने या डराने की कोशिश करेगी। ऐसे में इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
यह है मामला
केरल के पथानामथिट्टा जिले में काला जादू के नाम पर दो महिलाओं की बलि देने का मामला सामने आया था। पुलिस के मुताबिक, आर्थिक मदद करने के नाम पर इन महिलाओं को बुलाया गया था। जिसके बाद उनका अपहरण किया गया और फिर उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। इतना ही नहीं, आरोपियों ने महिलाओं के शवों के टुकड़े-टुकड़े करके उन्हें जमीन में गाड़ दिया था। मामले में जांच के बाद तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।
पैसा कमाने के लिए मानव बलि दी
पुलिस रिमांड रिपोर्ट के अनुसार, पति-पत्नी भगवल सिंह और लैला की जोड़ी ने मुख्य आरोपी मोहम्मद शफी के साथ मिलकर अपराध की साजिश रची थी। आरोपियों की पुलिस रिमांड रिपोर्ट में यह जिक्र किया गया है कि इस मामले में चौंकाने वाली बात यह थी कि पैसा कमाने के लिए किए गए एक अनुष्ठान को पूरा करने के लिए उसके एक हिस्से के रूप में मानव बलि दी गई थी। पद्मा और रोसलिन नाम की दो महिलाओं के शवों को मंगलवार को भगवल सिंह और लैला के आवास के पास गड्ढों से निकाला गया। पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने पीड़िता को पैसे का झांसा देकर लालच दिया था।