
दीये बनाते कारीगर
– फोटो : अमर उजाला
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मिट्टी के दीये बनाने वाले कुम्हार परिवारों को पूर्वजों की परंपरा चलाने के लिए दोहरा संघर्ष करना पड़ रहा है। आधुनिकता व टेक्नोलॉजी उनके बनाए मिट्टी के दीये और अन्य सामानों की बिक्री पर असर डाल रही है। इसके बावजूद प्रजापति समाज के लोग इस काम को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।
इस कार्य से जुड़े लोग दूसरे का घर रोशन करने के दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। कस्बे निवासी भूरा, छत्तर और रमेश प्रजापति आदि ने बताया कि कड़ी मेहनत के बाद रोजाना 600-700 दीये ही बन पाते हैं। पूरा परिवार इस काम में जुटता है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि दिवाली पर मिट्टी से बने दीपक जरूर खरीदें। जिससे त्योहार पर उनका घर भी रोशन हो सके।