
शव (प्रतीकात्मक तस्वीर)
– फोटो : अमर उजाला
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Myanmar : म्यांमार की सेना पर मानवे ग्रामीण क्षेत्र के तौंग मिंत गांव में एक स्कूली शिक्षक का सिर कलम करके उसे दरवाजे पर लटकाने का आरोप लगा है। प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही और वहां ली गई तस्वीरों के अनुसार 46 वर्षीय शिक्षक सॉ तुन मोए का सिरकटा शव स्कूल के दरवाजे के सामने जमीन पर पड़ा मिला जबकि सिर दरवाजे पर लटका था। स्कूल पिछले साल से बंद है और उसमें आगजनी के निशान भी मिले हैं।
एक ग्रामीण महिला ने समाचार एजेंसी को बताया कि यह घटना रविवार सुबह साढ़े नौ बजे की है। वह सॉ तुन मोए समेत करीब दो दर्जन ग्रामीणों में शामिल थी, जो मूंगफली के खेत में एक झोपड़ी के पीछे छिपे थे, तभी हथियारबंद लोगों के साथ 80 से अधिक सैनिकों का एक समूह वहां पहुंचा और हवा में गोलियां चलानी शुरू कर दीं।
महिला ने बताया कि सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया। उनके फोन और अन्य सामान जब्त कर लिए और एक अधिकारी के आदेश पर तीन लोगों को समूह से अलग कर दिया तथा केवल सॉ तुन मोए को अपने साथ ले गए। प्रत्यक्षदर्शी महिला ने कहा कि सॉ तुन मोए को लगभग एक किलोमीटर दूर तौंग मिंत गांव ले जाया गया और अगले दिन वहीं पर उसकी हत्या कर दी गई। महिला को सोमवार की सुबह घटना का पता चला। शिक्षक उसके दो बच्चों को पढ़ाता था, इसलिए वह बेहद दुखी है।
सेना देती है ग्रामीणों को हथियार
म्यांमार में सेना अक्सर आम नागरिकों को हथियार मुहैया कराकर उनसे अपने लिए काम कराती है। आम नागरिक छापेमारी के दौरान गाइड के तौर पर काम करते हैं। लेकिन इसके विरोध में आवाज उठाने वाले को सार्वजनिक रूप से सजा देकर दहशत फैलाई जाती है।
बच्चों को शिक्षित करना मकसद
तौंग मिंत गांव के एक अन्य निवासी ने कहा कि उसने सैनिकों के जाने के बाद सॉ तुन मोए का शव देखा। उसने पहले अपने दोस्तों को बुलाया और फिर खुद शव के करीब जाकर देखा। वह तुरंत शिक्षक मोए को पहचान गया। ग्रामीण ने कहा, शिक्षक मोए पिछले कुछ महीनों से एक स्कूली शिक्षक के तौर पर हमारे गांव आते थे और हमारे बच्चों को शिक्षित करना चाहते थे।
कड़ी प्रतिक्रिया दे विश्व बिरादरी : अमेरिका
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने ट्विटर पर कहा, हम इन खबरों से स्तब्ध हैं कि म्यांमार के सैन्य शासन ने मागवे क्षेत्र में एक स्कूली शिक्षक को गिरफ्तार किया, सार्वजनिक रूप से उनकी हत्या की और उनका सिर कलम कर दिया। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को शिक्षकों के खिलाफ सैन्य शासन की क्रूरतापूर्ण हिंसा पर कड़ी प्रतिक्रिया देनी चाहिए।