
Qala
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई
कलाकार
तृप्ति डिमरी
,
स्वास्तिका मुखर्जी
,
बाबिल खान
,
अमित सियाल
,
समीर कोचर
,
गिरिजा ओक
,
वरुण ग्रोवर
,
स्वानंद किरकिरे
और
अनुष्का शर्मा
लेखक
अन्विता दत्त
निर्देशक
अन्विता दत्त
निर्माता
कर्णेश शर्मा
ओटीटी
नेटफ्लिक्स
विस्तार
नेटफ्लिक्स वाकई हिंदुस्तानी हो रहा है। डरा हुआ सा, सहमा हुआ सा। कभी खराब से खराब फिल्में रिलीज के हफ्ते भर पहले दिखा देने वाला नेटफ्लिक्स अब अपनी बेहतरीन फिल्में भी रिलीज के दिन तक सीने से लगाकर रखता है। कला के क्षेत्र में डरना अच्छे दिनों की पहचान है। हर कलाकार के भीतर अपनी नई कलाकृति को लेकर ये डर बना ही रहता है। अंग्रेजी में जिसे ‘बटरफ्लाईज इन स्टमक’ कहते हैं और हिंदी में नरभसाना भी कह जाते हैं, वैसा ही कुछ हाल नेटफ्लिक्स का लगता है। लेकिन, उसका कहानियों का चयन इधर शानदार हो चला है। ‘मोनिका ओ माय डार्लिंग’ के तुरंत बाद ‘कला’। एक और ऐसी फिल्म जिसे देखने का और साथ ही सुनने का असली मजा सिनेमा हॉल में ही आ सकता है। फिर भी अगर ये फिल्म आप अपने स्मार्ट टीवी पर बढ़िया म्यूजिक सिस्टम के साथ देखें तो जाता हुआ साल थोड़ा और सिनेमाई हो जाएगा। कला फिल्म हिंदी फिल्मों के लौटकर ‘सिनेमा’ की तरफ आने की जोर की दस्तक है और ये दस्तक इस बात की भी है कि अमित त्रिवेदी को हिंदी फिल्मों के बड़े निर्माता खुली छूट दें तो वह अब भी सिर्फ अपने गानों के बूते दर्शकों को खींचकर सिनेमाघरों तक ला सकते हैं।