एमएक्स प्लेयर पर बीते सप्ताहांत प्रसारित होनी शुरू हुई वेब सीरीज ‘धारावी बैंक’ में इरावती गावस्कर बनीं अभिनेत्री समीक्षा भटनागर ने अपने सहज, सरल और प्रभावी अभिनय से लोगों का दिल जीत लिया है। देहरादून से ताल्लुक रखने वाली समीक्षा ने इस सीरीज में कड़क पुलिस अफसर जयंत गावस्कर बने विवेक ओबेरॉय की पत्नी का किरदार निभाया है। पूरी सीरीज में बिना किसी खास मेकअप के अभिनय करने वाली समीक्षा इन तारीफों से अभिभूत हैं और इसका पूरा श्रेय वह सीरीज के निर्देशक समित कक्कड को देती हैं। साथ ही, वह अपने सह कलाकारों सुनील शेट्टी व विवेक ओबेरॉय की तारीफ करते भी नहीं थकतीं। सुनील शेट्टी का जिक्र होने पर वह कहती हैं कि नए कलाकारों को उनसे शांतचित्त व्यवहार और एक कलाकार की गरिमा कैसे रखी जाती है, ये सीखना चाहिए।
वेब सीरीज ‘धारावी बैंक’ देश की सबसे बड़ी मलिन बस्ती धारावी की कहानी कहती है। धारावी की गंदी गलियों, बजबजाती नालियों और उफनाते नालों के बीच वैसे तो कई कहानियां गढ़ी गई हैं। लेकिन, इस बार कहानी का एक भावनात्मक पहलू भी वेब सीरीज ‘धारावी बैंक’ में नजर आया है और कहानी को ये अनोखा नजरिया मिलता है समीक्षा भटनागर के किरदार इरावती गावस्कर से। समीक्षा कहती हैं, ‘ये किरदार मैंने ऑडिशन के जरिये हासिल किया। मैंने बिना मेकअप के ये रिकॉर्डिंग करवाई थी और सीरीज के निर्देशक को शायद मेरे जैसे ही किसी चेहरे की तलाश भी थी।’
समीक्षा कहती हैं, ‘वेब सीरीज ‘धारावी बैंक’ में एक ऐसी लय है जो शायद दूसरी अपराध आधारित वेब सीरीज में नहीं दिखती। इसीलिए लोग इसे इतना पसंद भी कर रहे हैं। सुनील शेट्टी का ये डिजिटल डेब्यू भी है और उनका किरदार थलाइवन जब सीरीज में इरावती के पांच साल के बेटे को सरेआम गोली मार देता है तो कहानी में ये उत्प्रेरक (कैटलिस्ट) का काम करता है। इरावती ही जयंत को बार बार इसकी याद दिलाती रहती है और वह चाहती है कि थलाइवन की मौत आसान नहीं होनी चाहिए।’
एक पांच साल के बेटे की मां का किरदार और उस पर से अपनी आंखों के सामने अपने बेटे की हत्या होते देखने वाले दृश्यों में समीक्षा के अभिनय की हर तरफ तारीफ हो रही है। वह कहती हैं, ‘वेब सीरीज ‘धारावी बैंक’ को करने का मुख्य कारण भी यही था कि इस किरदार में अभिनय के अलग अलग स्तर हैं। एक कलाकार के रूप में हर फिल्म या हर सीरीज में नई चुनौती स्वीकार करना ही समय की जरूरत है क्योंकि अब कहानियों के किरदार महत्वपूर्ण हो गए हैं। ऐसे में हर निर्देशक को ऐसे लोगों की जरूरत है जो कहानी के हिसाब से अपना रंग बदल सकें।’
और, 90 के दशक की तब्बू से हो रही तुलना पर समीक्षा क्या कहती हैं? उनका चेहरा इस सवाल से ही दमक उठता है। अपनी चिर परिचित मुस्कान के साथ वह कहती हैं, ‘ये मेरे लिए वाकई बहुत बड़ा कॉम्प्लीमेंट है। मैंने स्मिता पाटिल, तब्बू और जरीना वहाब जैसी अभिनेत्रियों का सिनेमा देखकर जो कुछ भी सीखा है, उसे मैंने वेब सीरीज ‘धारावी बैंक’ के अपने किरदार में लाने की कोशिश की है। हर किरदार का एक भावनात्मक पहलू होता है और कलाकार की भावनाएं जब दर्शकों से सीधे जुड़ती हैं तो ही अभिनय का असली फल सामने आता है।’